1. चलते चलते एक मोड़ पर थोड़ा रुक सा गया हूं।
सबब ठोकरे भरी राहें, थोड़ा झुक सा गया हूं।
दूर तलक का सफर है, ठिकाना अभी दूर है,
कदम रुकने लगे है, बस थोड़ा थक सा गया हूं।
2. बिना संघर्ष ही गुजर जाए जो, वो सफर कैसा।
फूलों से सजा कांटो बिना , वो डगर कैसा।
हॉले हॉले कट जाए जिंदगी, चाह बुजदिलों की।
जिसे भय हो मुसीबतों का, वो जिगर कैसा।।
3. मै खुद को गैरो सा बदलता रहा।
लोग ज़ख्म देते गए मै मरहम मलता रहा।।
गुनाह इतना सा था कि मै उनमें ही खो गया।।
अफसोस इतना सा है, ये गुनाह कैसे हो गया।।
4. वक्त की नुमाइश में ख़ामोश हूं।
हाल दिलों के अब कहूं कैसे।
संभाल रखा है खुद को खुद के सहारे,
इस दुनियां की बेरुखी और सहूं कैसे।।
लफ़्ज़ों के शब्दजाल है जहन में भरें,
कलम उठती नहीं, बयां करूं कैसे।।
कलम उठती नहीं, बयां करूं कैसे।।
5.अपनी अकड़ में रहा,खुद से,जहान को जुदा पाया।
जो सर झुकाया तो सामने पत्थर में भी खुदा पाया।।
और प्यार से, दो ही शब्द, जोंही बोले दूसरों से,
खुदा कसम, हर किसी को खुद के सामने झुका पाया।।
Tags:
Motivational




