1. आओ कभी, दिलकश तेरा दीदार हो जाए,
महबूब की गलियों में फिर टकरार हो जाए।
दे दे गवाही इस्क की एक बार तू खुद से,
तेरी मुस्कान पर दंगे, हजार हो जाए।
महकमे में बैठते है कई मेरे साथी,
चिंता नहीं, लाखो मुकदमे नाम हो जाए।।
2. आँखे उनकी भी खोजती है,
ढूंढता सिर्फ मै ही नही।
जो गर मिल जाएं नजरें,
मिलाते हम भी नहीं, मिलाते वो भी नही।
और,
तलब जितनी मुझे है, उन्हे भी है,
पर बताते हम भी नही, जताते वो भी नहीं।।
3. तेरे बातों का चड़ा ऐसा है सुरूर,
जुबां खामोश, निगाहें खास कहती है।।
तुझे देखकर तो चेहरा खिल जाता है मेरा पर,
दिल हो जाता परेशां, धड़कनें चुप सी रहती है।।
4. तुम ढलती शाम के सुनहरे रंग बन जाओ,
मै बहती हवा बन, समां सुहाना बना दूं।।
तुम महकते फूल की खुशबू बन जाओ,
मै अपने वस्त्र पर लगाया इत्र बना लूं।।
5. आहिस्ता-आहिस्ता मै मदहोश होता जा रहा हूं।
यूं तुझे देख-देख, मै अपना होश खोता जा रहा हूं।
तेरी तारीफ में तो, कई पन्ने भर दिए मैंने,
शब्दों के जाल बुनते-बुनते, मै अब खामोश होता जा रहा हूं।।
-- आलोक कुशवाहा --
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ReplyDeleteYehhh😁😁👍
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