Corona - ek mahamari

कोरोना : एक महामारी

मेरा देश किस कदर बदलता जा रहा है
यूं जंग तो छिड़ी कोराना से है,
पर शायद भुखमरी से जलता जा रहा है।
पलायन कर रहे है लोग अपने घरों को,
दो वक्त की रोटी तो दूर की बात है,
घर पहुंचाए कोई साधन भी ना मिल पा रहा है।
जो अमीर है वो तो बैठे है अपने घरों में,
पर गरीब अपनी कुटिया में मोम सा पिघलता जा रहा है।
हाय! मेरा देश किस कदर बदलता जा रहा है।

कस्बों शहरों में छाई काला बाजारी है,
हर तरफ बस महंगाई की मारामारी है।
सड़कों पर हर तरफ सिर्फ सैन्य अधिकारी है।
हाय! कोराना ये कैसी महामारी है।
कितने बुरे दौर से मेरा देश गुजरता जा रहा है।
हाय! मेरा देश किस कदर बदलता जा रहा है।

इस महामारी ने मचाई पूरी दुनिया में हाहाकार है,
अस्पतालों में लगी मरीजों की लगी लंबी कतार है।
आर्थिक तंगी से जूझ रही हर देश की सरकार है।
ये सब देख आखिर मेरा देश कैसे कदम उठा रहा है।
हाय! मेरा देश किस कदर बदलता जा रहा है।

काबू पा रहे कोराना पर कुछ देश, अभी मौजूद है।
पर भारत, अमेरिका जैसे देश खो रहे अपना वजूद है।
कितना ख़तरनाक है कोराना, इस बात का सबूत है।
ऐसी स्थिति में, भारत क्या समाधान करता जा रहा है।
हाय! मेरा देश किस कदर बदलता जा रहा है।।

– आलोक कुशवाहा
Alok kushwaha

मै कोई कवि तो नहीं, जो दिल में आता है कागज पर उतार देता हूं।। Poem by heart �� .

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