1. माथे पर सिकन, आंखे नम क्यूं है।
परेशां हो? जिंदगी में इतना गम क्यूं है।
सब बदल जाता है, गुजरते वक्त के संघ,
फिर ये वक्त न गुजरेगा, वहम क्यूं है।
कभी खुशी कभी गम, यही दस्तूर है जमाने का,
फिर मुस्कुराओ, चेहरे पर हसी कम क्यूं है।।
2. इस दुनिया को, हर दिन नए फसाने चाहिए।
इक झूठ छिपाने को कई बहाने चाहिए।
तुम हकीकत को लिए बैठे हो तो बैठे रहो,
यहां हकीकत से ज्यादा जीने के लिए बहाने चाहिए।।
3. है नशा एक जंग का, जीत की उबाल है।
हार से डरू नही, सम्मान का सवाल है।
वक्त के इस काफिले मे, आता यही ख्याल है।
आगे निकलना कायरो की भींड़ से तत्काल है।।
4. बाजार–ए–शहर में, मैं अपना ईमान बेच आया ।
इक छोटी सी दुकां में, मैं अपना काम बेच आया ।
खुली आंखों से देखे हुए, कुछ सपनो के खातिर,
दफना कर इशरत कब्र में, मै समसान बेच आया ।
बड़ा ली दूरियां उनसे, जिन्हें मैं रास नहीं था,
मिटा कर नाम अपना, मैं खुद की पहचान बेच आया।।
5. दूर से बड़े सुलझे नजर आते है हम,
कभी करीब से आकर के देखो ना।
मेरा किरदार करने की चाह रखते हो।
कभी मेरी जिंदगी भी जी कर के देखो ना।।
नदी के किनारे, बड़े ही शिथिल से लगते है।
कभी बीच भंवर भी डुबकी लगाकर के देखो ना।।
-- आलोक कुशवाहा --
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Motivational





Beautifully written ❤️❤️😍
ReplyDeleteSukriya 😇
Delete😌😌kavi bahiya
ReplyDelete😇😇😇
DeleteBahut badiya
ReplyDeleteSukriya 😇
DeleteThanks
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