"ये सफर कितना खास है "
अहमियत कोशिशों की है, ये मंजिल कितनी पास है।।
बयां ना रास्तों से, ये सफर कितना खास है।।
मै खुद पर, खुदा पर, यकीन करता रहूं बेशक।
मेहनत लगन कितनी है, यहीं विश्वाश है।।
मै लाख कहता रहूं, जीत पक्की है मेरी।
मै लाख कहता रहूं, कि हार मेरी होगी नहीं।
सरल है पथ मै दौडू, रुकावट रास्ता होगी नहीं।।
मगर मै जनता हूं, कहना सरल है, करना नहीं।।
मै धीमा चल रहा, पर अभी ठहरा नहीं।
चलता रहूंगा, जब तक हृदय में शांश है।।
मेहनत लगन कितनी है, यहीं विश्वाश है।।
बयां ना रास्तों से, ये सफर कितना खास है।।
बयां ना रास्तों से, ये सफर कितना खास है।।
ना होगा गम मुझे, मै हारा, प्रसंशा ना, कि मै जीता।
खुशी इस बात की होगी, कोशिशों से मुझे क्या मिला।
मै भटकता एक राही हूं, नहीं पहचान मंजिल की,
मै कितनी देर भटका हूं, भटकने से है क्या पाया।।
बड़ा बेरंग है ये सफर, मन मेरा उदाश है।।
मेहनत लगन कितनी है, यहीं विश्वाश है।।
बयां ना रास्तों से, ये सफर कितना खास है।।
बयां ना रास्तों से, ये सफर कितना खास है।।
-- आलोक कुशवाहा --

Waah
ReplyDeleteSukriya 😇
Deleteयही तो हुनर हैं जिंदगी का खुद का किरदार अच्छे से निभाना ,खुद भी जीना और दूसरों को जीना सिखाना😇 well penned..
ReplyDeleteक्या बात है........ Thank-you 😇😇
Deletewonderful lines
ReplyDeleteThanks 😇
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