आगे खाई पीछे कुंआ है..
मुश्किलों के वक्त में हर किसी से सुना है,
जाने वाला जाए कहां आगे खाई पीछे कुंआ है।
कहने वाले कुछ भी कहते, वक्त वक्त की बात है।
जिस पर बीते वो ही जाने, कौन सगा कौन दोमुंहा है।
लाखो करोड़ों की भीड़ में हर कोई आज अकेला है।
उसका भी अपना स्वार्थ है जो संघ हुआ पथवेला है।
जीवन की चुनौतियों संघ, हर कोई खेले जुआं है।
जाने वाला जाए कहां आगे खाई पीछे कुंआ है।
आज वक्त अमीरी का है, हर कोई साथ निभाता है।
गर पास गरीबी आ जाए,फिर कोई नजर ना आता है।
कुछ दिखते बादल जैसे है पर अंदर से सब धुआं है।
जाने वाला जाए कहां आगे खाई पीछे कुंआ है।।
जिंदगी की उलझनों में सब है उलझे, वक्त ना है।
हो निडर लड़ जाए इतना, नाड़ियो में रक्त ना है।
खुद को समझते जो सिकंदर, वो ही पहले हारते है।
जो मौन हो एक राह चलते, बाजी वो ही मारते है।
व्यथा सुनाता हर कोई जिसके संघ जैसा हुआ है।
जाने वाला जाए कहां आगे खाई पीछे कुंआ है।।
–– अलोक कुशवाहा
Waahh 👏👏
ReplyDeleteSukriya 😇
DeleteMast
ReplyDeleteWah Wah kya baat h
ReplyDeleteSukriya 😇
ReplyDeleteजीवन की चुनौतियों संघ, हर कोई खेले जुआं है। ये अटूट सत्य वचन है...
ReplyDeleteसही कह रहे है आप🔥
DeleteWah wah
ReplyDeleteSukriya
DeleteBahut khoob ����
ReplyDeletesukriya
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